महाभारत से पहले ....भाग -३

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पिछले अंक में हमने लिखा था कि ..
वीरणी से दक्ष की 60 कन्याएं उत्पन्न हुई - मरुवती, वसु, भानु, अरुंधती, जामी, लंबा, संकल्प, महूर्त, अदिति, दिति, संध्या, विश्वा, दनु, काष्ठा, इला, मुनि, अरिष्टा, सुरसा, सुरभि, सरमा, क्रोधवषा, तामरा, तिमि, कृतिका, आर्द्रा, पुनर्वसु, रोहिणी, मृगशिरा, सुन्रिता, पुष्य, स्वाति, चित्रा, अश्लेषा, मेघा, फाल्गुनी, हस्ता, अनुराधा, ज्येष्ठा, राधा, विशाखा, मूला, अषाढ़, सर्विष्ठ, सताभिषक, अभिजीत, श्रावण, प्रोष्ठपदस, रेवती, रति, स्वरूपा, अश्वयुज, भरणी, भूता, स्वधा, विनीता, कद्रू, अर्चि, दिशाना, यामिनी और पतंगी |
अदिति के पुत्र बिस्ववान हुए | बिस्ववान से मनु पैदा हुए, और हम सभी महाराज मनु के वंशज मानव कहलाए |
ऐसा कहा जाता है कि महाराज मनु के समय में जल प्रलय हुई और केवल मनु ही बचे थे | जल प्रलय के पश्चात मनु से इला का जन्म हुआ और इला से पुरुरवा का | पुरुरवा ने उर्वशी से विवाह किया |
अब आगे...                                                                                Google Ads.




दक्ष प्रजापति ने प्रसूति से उत्पन्न अपनी तेरह पुत्रियों को धर्म से ब्याह दिया | इन पुत्रियों के नाम थे – लक्ष्मी, श्रद्धा, धृति, पुष्टि, तुष्टि, क्रिया, मेधा, लज्जा, बुद्धि, शान्ति, सिद्धि, वपु और कीर्ति |
ख्याति का ब्याह भृगु ऋषि से, सम्भूति का मरीचि ऋषि से, स्मृति का अंगीरस ऋषि से, प्रीती का पुलत्स्य ऋषि से, सन्नति का विवाह कृत से, महर्षि अत्रि और अनुसूया का, ऊर्जा का वशिष्ठ ऋषि से और ऋषि पितृस से स्वाहा का विवाह हुआ | दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पिता की इच्छा न मानते हुए रूद्र (शिव) को अपना वर चुना | रूद्र को ही शिव और शंकर कहा जाता है |
इसके अलावा वीरणी से उत्पन्न 10 कन्याओं वसु, मरुवती, लम्बा, जामी, भानु, संकल्प, अरुंधती, महूर्त, विश्व और संध्या का विवाह भी धर्म से किया | इस प्रकार कुल तेईस पुत्रियों का विवाह धर्म से किया | वीरणी की तेरह कन्याओं का विवाह महर्षि कश्यप से किया | इन कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं | दिति, अदिति, दनु, काष्ठा, सुरसा, अरिष्ठा, मुनि, इला, ताम्रा, क्रोधवशा, सरमा, तिमी और सुरभि | इन्ही तेरह कन्याओं को आगे चलकर जगत जननी कहा गया | इनसे ही संसार के सभी प्राणियों का जन्म हुआ | यही तेरह लोकमाता कही जाती हैं |
इनके अलावा वीरणी की सत्ताईस कन्याओं का विवाह चंद्रमा से हुआ | इनको नक्षत्र कन्याएं कहा गया| उनके नाम है- रोहिणी, कृतिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आर्द्रा, पुष्य, स्न्रिता, मेघा, स्वाति, अश्लेषा, फाल्गुनी, चित्रा, राधा, हस्ता, विशाखा, अनुराधा, मूला, ज्येष्ठा, अभिजिता, आषाढ़, श्रावण, शर्मिष्ठा, शताभिषक, प्रोष्ठ्पदस, भरणी, रेवती और अश्वयुज | इनके नाम पर ही नक्षत्रों के नाम हैं |
इनके अलावा वीरणी की बची हुई नौ कन्याओं का विवाह इस प्रकार हुआ - रति, स्वरूपा, स्वधा, का विवाह क्रमशः कामदेव, भूत और अंगीरा प्रजापति से, दिशाना और अर्चि का विवाह कृशश्वा से, कद्रू, पतंगी यामिनी और विनीता का विवाह तार्क्ष्य कश्यप से हुआ ।

इनमें से विनीता से अरुण और गरूड़, कद्रू से नाग, पतंगी से पतंग और यामिनी से शलभ उत्पन्न हुए । इनकी कथा आप आगे के अंकों में पढेंगे ...

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