महाभारत से पहले.. भाग-१

Gamiss.com INT
नमस्कार मित्रो !
आज बैठा-बैठा सोच रहा था कि क्या लिखा जाए जिससे कि पाठकों को कुछ नया प्राप्त हो और पढने की जिज्ञासा बनी रहे | मन में एक विचार आया कि बच्चों को हमारे पूर्वजों के बारे में कुछ ज्ञान है या नहीं, ये पूछा जाए और अपने बच्चों से महाभारत पर कुछ सवाल पूछ लिए |  पता लगा कि बच्चे महाभारत के बारे में बहुत कम जानते हैं, और महाभारत में भी कुछ कहानी ऐसे शुरू हो जाती हैं, जिससे पहले की कहानी जानने को श्रोता अथवा पाठक उत्सुक रहते हैं | परन्तु उन कहानियों के स्त्रोत आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, और अगर उपलब्ध भी हैं तो संस्कृत भाषा में हैं, जिसको सब नहीं समझते | आज यही विचार उत्पन्न हो रहा है कि उन सभी कहानियों को हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में अनुवादित कर के ब्लॉग पे लिख दिया जाए | अब चूंकि कल मैंने ये ब्लॉग शुरू कर ही दिया था, और सभी पाठकों से कहा था कि यहाँ पर में रोज़ाना कुछ ना कुछ नया लिखूंगा, तो इस ब्लॉग पर कल से आपको ऐसी कहानियां मिलेंगी, जो महाभारत की कथा से सम्बंधित हैं, परन्तु महाभारत में उनका केवल आंशिक उल्लेख है | इस श्रृंखला में सबसे पहले आपको महाभारत की पूर्व कथा से अवगत करना चाहता हूँ और फिर रोज़ाना एक कथा पे चर्चा करेंगे |


जैसा कि आप सभी जानते हो कि महाभारत पांडवों और कौरवों की कहानी है परन्तु उसको जानने से पूर्व आप सभी को पांडवों और कौरवों के इतिहास को जानना होगा | पुराने समय में कौरवों और पांडवों के पूर्वज एक ययाति नाम के राजा थे और खाण्डवप्रस्थ उनकी राजधानी थी, जिसको बाद में पांडवों ने इन्द्रप्रस्थ के रूप में विकसित किया | ययाति की दो रानियाँ थी |
एक का नाम था देवयानी | देवयानी असुरों के गुरु शुक्राचार्य कि पुत्री थी | और दूसरी असुरों के राजा वृषपर्वा की  पुत्री - शर्मिष्ठा |
देवयानी के दो पुत्र हुए | बड़े पुत्र का नाम था यदु और छोटे का नाम था तुर्वसु | बड़ा पुत्र यदु बहुत सदाचारी और बुद्धिमान था | उसके नाम पर यदुवंश चला, जिसमें आगे चलकर श्रीकृष्ण जैसे महानायक का जन्म हुआ |
शर्मिष्ठा के तीन पुत्र हुए | दुह्य, अनु और पुरु | सबसे छोटा पुत्र पुरु बहुत ही पराक्रमी था और पितृ भक्त था | आगे चलकर पुरु को ही राजा ययाति ने अपना उत्तराधिकारी बनाया और वह राजा बना | पुरु के नाम से ही पुरुवंश की शुरुआत हुई |
ययाति के पिता कौन थे, उनके वंश में और कौन-कौन थे? इन सभी कथाओं पर भी हम विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे और मुझे विश्वास है कि सभी पाठकों को ये कहानियाँ पसंद आयेंगीं | आज बस इतना ही। कल मिलेंगे एक अनछुई कहानी के साथ.

Comments

Popular posts from this blog

महाभारत से पहले.. भाग-2

My first blogpost