महाभारत से पहले ..भाग-4

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पिछले अंक में हमने लिखा था कि -

वीरणी की तेरह कन्याओं का विवाह महर्षि कश्यप से किया | इन कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं | दिति, अदिति, दनु, काष्ठा, सुरसा, अरिष्ठा, मुनि, इला, ताम्रा, क्रोधवशा, सरमा, तिमी और सुरभि | इन्ही तेरह कन्याओं को आगे चलकर जगत जननी कहा गया | इनसे ही संसार के सभी प्राणियों का जन्म हुआ | यही तेरह लोकमाता कही जाती हैं |
अब आगे ....
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अब चूंकि हम महाभारत से पहले की बात कर रहे हैं, इसलिए हम केवल वीरणी और दक्ष प्रजापति की कन्या अदिति के बारे में बात करेंगे | जैसा कि हम पहले भाग - 2 में बता चुके हैं कि अदिति के पुत्र बिस्ववान हुए | बिस्ववान से मनु पैदा हुए, और हम सभी महाराज मनु के वंशज मानव कहलाए |
महर्षि कश्यप और अदिति से बारह आदित्य पैदा हुए – अंश, अर्यमा, मित्र, भग, पूषा, वरुण, त्वष्टा, वैवस्वत या विवस्वत , विष्णु, इंद्र, धात्रि और सावित्री | धात्रि को त्रिविक्रम के नाम से भी जाना जाता था | उनको ही वामनावतार कहा जाता है |
वैवस्वत या विवस्वत को विवस्वान् या बिस्ववान भी कहा जाता है | सही नाम को लेकर विद्वानों में मतभेद है | हम यहाँ विवस्वान ही कहेंगे | विवस्वान अदिति के सबसे बड़े पुत्र थे| अदिति के पुत्र होने के कारण उनको आदित्य अथवा सूर्य भी कहा गया |
विवस्वान का विवाह विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ | विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा की तीन संतान हुई | दो पुत्र और एक पुत्री | वैवस्वत मनु, यम और यमी | कुछ लोग यमुना को ही यमी कहते हैं | 

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